जितेन्द्र की कलम से….
अपनो की चाहत से बड़ा कोई धोखा न था, साहिल पर डूबने का भरोसा ना था, काटों ने जख्म दिया होता तो कोई सिकवा न होता, फूल भी जख्मी कर…
जितेन्द्र की कलम से
Jitendra Ki kalam se. Poem written by Jitendra Kumar Srivastava. जितेन्द्र की कलम से. Rising Star Jitendra Kumar