बेजुबान दर्द
जितेन्द्र की कलम से… धन दौलत की चाह नहीं थी किंतु भूख अकुलाई थी, क्षुधा मिटाने की खातिर अपने बच्चे संग आई थी उसे आस थी मानुष पर जो भोजन…
जितेन्द्र की कलम से….
अपनो की चाहत से बड़ा कोई धोखा न था, साहिल पर डूबने का भरोसा ना था, काटों ने जख्म दिया होता तो कोई सिकवा न होता, फूल भी जख्मी कर…
जितेन्द्र की कलम से
Jitendra Ki kalam se. Poem written by Jitendra Kumar Srivastava. जितेन्द्र की कलम से. Rising Star Jitendra Kumar