जब आपका vocabulary strong हो जाये फिर उसको practice करना शुरू करें। क्योंकि चाहे जितना आप जानकार हो जाये जब तक उसको अमल में नहीं लाएंगे तब तक कोई फायदा नहीं उसका और कभी भी धाराप्रवाह english नहीं बोल पाएंगे।
अमल में लाने के लिए, प्रैक्टिस के लिए आप सबसे पहले अपने दिमाग में English में सोचना शुरू करें क्योंकि आप हिंदी भी तभी बोल पाते हैं जब आप सोचते हैं बिना सोचे आप हिंदी भी नहीं बोल पायेंगे। ये वैसे ही है की जब हम पिक्चर हाल में कोई मूवी देखते हैं तो सोचते हैं की लगातार video चल रहा है लेकिन वैसा नहीं होता है, वो सब एक पिक्चर है still photography जैसा बस वो इतना तेज़ चलता है की सेकंड में पता नहीं कितने रील move कर जाते हैं हमको पता नहीं चलता ठीक वैसे है हिंदी हम जितना तेज़ सोचते हैं उतना ही तेज़ बोलते हैं.
पहले हम खुद इंग्लिश में सोचे फिर उसको एक डायरी में लिखे। लिखने से आपकी प्रैक्टिस होगी और वो कंठस्थ हो जायेगा। mirror (शीशे)के सामने बैठ कर बोलने का प्रयास करें और ये सबसे सटीक तरीका है अपने English Communication को स्ट्रांग करने का जिसमे आपEnglish बोलने के समय के शारीरिक हाव–भाव, face expression को देख सकते हैं. Mirror के सामने आप अलग–अलग तरह के practice कर सकते हैं जैसे की छोटे बच्चों से कैसे बात करना है, दोस्तों से कैसे बात करना है, अपने से बड़े लोगों से कैसे बात करना है या फिर किसी public gathering में मंच से कैसे बोलना है. या फिर किसी ऐसे आदमी से बात करें english में जो आपका मजाक न उड़ाए क्योंकि आप सबसे English बोलने की प्रैक्टिस नहीं कर सकते क्योंकि जब आप शुरुआत में कुछ गलती करेंगे और सामने वाला आपका उपहास उड़ाएगा तो आपका मनोबल टूट जायेगा।
Yes anurag sir its very effective
what we learn if dont practice its like waste….to seekhna aur implement karna dono hi bhut jaroori hota hai..