प्रभु श्री राम
श्री राम मंदिर निर्माण के शुभ अवसर पर जितेंद्र कुमार की तरफ से प्रभु के श्री चरणों में एक प्रस्तुति
बेजुबान दर्द
जितेन्द्र की कलम से… धन दौलत की चाह नहीं थी किंतु भूख अकुलाई थी, क्षुधा मिटाने की खातिर अपने बच्चे संग आई थी उसे आस थी मानुष पर जो भोजन…
जितेन्द्र की कलम से….
अपनो की चाहत से बड़ा कोई धोखा न था, साहिल पर डूबने का भरोसा ना था, काटों ने जख्म दिया होता तो कोई सिकवा न होता, फूल भी जख्मी कर…