Abode of my thoughts
वर्ष 2009 में पहली बार माउंट आबू जाने का अवसर मिला था और तब से अभी तक बहुत बार जाना हो गया है. पहली बार मैं गुजरात के सुरेंद्रनगर जिले से आया था माउन्ट आबू भ्रमण को लेकिन बाद में कुछ ऐसी परिस्थिति आयी की लगभग 2-3 साल आबू रोड में रहना हुआ था उस दरमियाँ बहुत बार जाना हुआ. बस, ट्रैन (आबू रोड तक), मोटर साइकिल, कार सभी तरह के साधनों से माउंट आबू भ्रमण कर चुका हूँ. माउन्ट आबू को राजस्थान और गुजरात का समर कैपिटल भी कहते हैं. यह एक रमणीक, दर्शनीय, पौराणिक पर्यटन स्थल है. यहाँ की शुद्ध हवाएं और गहरे नीले आसमान यहाँ की शोभा बढ़ाते हैं. यहाँ पर पर्यटन के साथ–साथ हम पौराणिक स्थानों के दर्शन का भी लाभ ले सकते हैं. तो आईये माउंट आबू को थोड़ा करीब से जानने की कोशिश करते हैं;
माउंट आबू पश्चिमी भारत में गुजरात की सीमा से सटा हुआ एक हिल स्टेशन है. ये सिरोही जिले में आता है. आबू पर्वत 22 km लम्बा और 9 km चौड़ा है.आबू पर्वत की सबसे ऊँची चोंटी “गुरु शिखर” समुद्र तल से 1722 मीटर ऊँची है. माउंट आबू राजस्थान का एकमात्र हिल स्टेशन है. इस शहर का प्राचीन नाम अर्बुदांचल था. ऐसा माना जाता है की इस स्थान पर भगवान भोलेनाथ ने भील दंपत्ति आहुक और आहूजा जो साक्षात् दर्शन दिए थे. यह अरावली पर्वत का सर्वोच्च शिखर और जैनियों का प्रमुख तीर्थ स्थान है. और इतिहासकाल से ही गुजरात और राजस्थान के लोगों का ग्रीष्मकाल में मनपसंद प्रवास की जगह है. राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित माउन्ट आबू की भौगोलिक स्थित और वातावरण पूरे राजस्थान से भिन्न है. माउन्ट आबू एक बहुत ही मनोरम और आकर्षक हिल स्टेशन है.राजस्थान के और हिस्सों की तरह ये गर्म नहीं है. माउन्ट आबू हिन्दू और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल भी है. यहाँ के ऐतिहासिक मंदिर उनकी कलाकृतियां, मंदिर के अंदर की नक्काशियां देशी–विदेशी पर्यटकों को बहुत लुभाती हैं. ब्रिटिश शासन के दौरान मैदानी इलाकों की गर्मी से बचने के लिए अंग्रेजों के लिए पसंदीदा स्थान था.
माउंट आबू प्राचीन काल से ही साधु–संतों का निवास स्थान रहा है, पौराणिक कथाओं के अनुसार पृथ्वी को असुरों से बचाने के लिए संत वशिष्ठ ने यहाँ यज्ञ किया था. और हिन्दू धर्म के सभी 33 करोड़ देवी–देवता यहाँ आबू पर्वत पर भ्रमण करते हैं. जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थकर भगवान महावीर भी यहाँ आये थे उसके बाद से माउन्ट आबू जैन अनुयायियों के लिए पवित्र तीर्थ स्थल बना हुआ है.
अपने मनोरम वातावरण के कारण यहाँ हमेशा सैलानियों का जमावड़ा लगा रहता है. गुरु शिखर, नक्की झील, अर्बुदा माता मंदिर, अचलगढ़ किला, अचलेश्वर महादेव मंदिर, टॉड रॉक, दिलवाड़ा जैन मंदिर, गोमुख और आबू वन्य जीव अभ्यारण्य प्रमुख हैं.
गुरु शिखर माउंट आबू के अर्बुदा पहाड़ों की ऊँची चोटी है और यह माउन्ट आबू से 15 km की दूरी पर विराजमान है. यह राजस्थान की अरावली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊँची चोटी है.पर्वत की चोटी पर बने मंदिर की शांति दिल को छू लेती है. गुरु शिखर की ऊंचाई 1722 मीटर है. इस पहाड़ी पर दर्शनार्थियों को पैदल ही जाना पड़ता है और यहाँ से चारो तरफ अरावली की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य देखा जा सकता है. गुरु शिखर पर भगवान दत्तात्रय का मंदिर है, दत्तात्रय, ब्रह्मा, विष्णु और महेश के अवतार माने जाते हैं. मंदिर के पास ही आबू वेधशाला भी है जो भौतिक अनुसन्धान प्रयोगशाला द्वारा संचालित है जहाँ पर खगोलीय अनुसन्धान होता है.
नक्की झील माउंट आबू का दिल है. ये झील 2.5 km में फैली हुई है. प्राचीन काल में एक देवता ने इस झील को अपने नख (नाखून) से खोद कर बनाया था इसलिए इसको नख की झील कहते थे बाद में इसको नक्की झील कहा जाने लगा. इस झील के किनारे एक पहाड़ी है जिसका आकार झील में छलांग लगाते हुए मेंढक की तरह है इसलिए इसे टॉड रॉक कहा जाता है. इस झील में नौकाविहार भी किया जाता है. ग्रुप में, अकेले या अपने साथी के साथ यहाँ नौका विहार करने की सुविधा उपलब्ध है.नक्की झील के पास ही हनीमून पॉइन्ट है जो नव–विवाहित जोड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र है. नक्की झील के पास ही सनसेट पॉइन्ट है. जैसे दार्जीलिंग का सूर्योदय बहुत अनुपम है वैसे ही माउंट आबू का सूर्यास्त काफी आकर्षक और मनमोहक है. सर्दियों में अक्सर नक्की झील जम जाती है. यह भारत की पहली मानव निर्मित झील है और इसकी गहराई लगभग 11000 मीटर है. अपने स्वच्छ जल और चारो तरफ के अद्भुत, मनोरम, मनमोहक और साफ वातावरण के कारण ये झील प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यह राजस्थान की सबसे ऊँची झील भी है.
अर्बुदा माता मंदिर को अधर देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. 51 सिद्ध शक्तिपीठों में से एक अधर देवी शक्तिपीठ भी है. यहाँ पर माता पार्वती का अधर गिरा था. अर्बुदा देवी को माता कात्यायनी का अवतार माना जाता है. अर्बुदा देवी मंदिर ठोस चट्टानों से निर्मित हैं और मंदिर में जाने के लिए 365 सीढ़ियां चढ़ के जाया जाता है. यहाँ साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है लेकिन नवरात्री में भक्तों का सैलाब आता है यहाँ पर और ऐसा माना जाता है की यहाँ के दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
दिलवाड़ा मंदिर पांच मंदिरो का समूह है. इसका निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी के बीच हुआ था. यह शानदार मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित है. पांचों मंदिर संगमरमर के बने हुए हैं मंदिर के 48 स्तम्भ में नृत्यांगनाओं की आकृतियां बनी हुई हैं. दिलवाड़ा मंदिर और मूर्तियां निर्माण कला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं. आज के ज़माने में भी इसके जैसा नक्काशी करना लगभग न के बराबर है. इस मंदिर का निर्माण राजा वास्तुपाल और तेजपाल नाम के दो भाईयों ने कराया था. इस मंदिर की अद्भुत कारीगरी और पत्थरों पर की गयी नक्कासी पूरे दुनिया में विख्यात है. ये शिल्प सौंदर्य का ऐसा नमूना है जो शायद कही न देखने को मिले। इसमें जैन तीर्थंकरों के साथ हिन्दू धर्म के देवी–देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं.
दिलवाड़ा मंदिर में पांच मंदिर इस प्रकार हैं,
राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू को अर्धकाशी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यहाँ पर भगवान शिव के बहुत मंदिर है. अचलेश्वर महादेव मंदिर माउन्ट आबू से लगभग 11 km दूर अचलगढ़ की पहाड़ियों पर अचलगढ़ किले के पास स्थित है. यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान शिव के अंगूठे की पूजा होती है. ऐसा माना जाता है की पूरा आबू पर्वत इसी अंगूठे पर ही टिका है.मंदिर के बाहर पंच धातु की बनी नंदी की प्रतिमा है जिसका वजन 4 टन हैं.
सबसे पास का एयरपोर्ट उदयपुर है जो लगभग 185 km है. रेलवे मार्ग द्वारा हम आबू रोड तक जाते हैं जो सीधा अहमदाबाद, जयपुर,दिल्ली और मुंबई से जुड़ा हुआ है. दिल्ली, अहमदाबाद और जयपुर सीधे बस सेवा भी है. माउन्ट आबू पहुंच कर आप टैक्सी या मोटर साइकिल किराये पर लेकर भी घूम सकते हैं. आबू रोड से ये 28 km है और आबू रोड से 5 km आगे जाने के बाद पूरा पहाड़ी रास्ता है. घुमावदार सड़कें हैं एक तरफ पहाड़ और दूसरी तरफ गहरी खायी अच्छा खासा रोमांच पैदा करती है.
बहुत-बहुत धन्यवाद् आप का साथ बनाये रखने के लिए, जल्दी ही मिलेंगे फिर किसी नए टॉपिक के साथ.
Comments are closed.
अद्भुत अविश्वसनीय मन को रोमांचित करने वाली आबू पर्वत के बारे में अभूतपूर्व जानकारी देकर आपने हमें अनुग्रहित कर दिया है शुरू से मेरी इच्छा रही है माउंट आबू घुमा जाए परंतु यह इच्छा भी तक अधूरी है आपका साथ पर यह जानकारी साथ रही अवश्य यहां पर दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा ऐसे विशेष स्थानों के बारे में संपूर्ण जानकारी देने के लिए आपको हृदय तल से बहुत-बहुत धन्यवाद
Hamari prakriti anokhi hai…aur aap itne saralta se express karne se aur bhi char Chand lag jate hai..anurag sir..Thank u to share your experiences..keep sharing..Very informative .