3 thought on “अक्साई चिन”
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Abode of my thoughts
अक्साई चिन-पिछले कुछ दिनों में भारत–चीन सीमा पर विवाद बढ़ गया है. दोनों देशों के सैनिकों के बीच मुठभेड़ भी हुई है हमारे 20 सैनिक शहीद हुए और चीन के कितने मारे गए उसका कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुआ. कुछ दिन पहले डोकलाम विवाद भी हुआ था. तो मेरे एक परम मित्र Shailendra Sameria की खास इच्छा थी की मैं अक्साई चीन पर कुछ लिखूँ। तो ज्यादा इतिहास के बारें में जानकारी नहीं है फिर भी कोशिश करता हूँ की कुछ जानकारी आप लोगों तक पहुचायी जाये अगर त्रुटि रह जाये तो माफ़ करियेगा।
अक्साई चिन भारत, चीन और पाकिस्तान के संयोजन पर, तिब्बती पठार के उत्तर–पश्चिम में, लगभग 5000 मीटर की उचांई पर स्थित एक नमक का मरुस्थल है. अक्साई चीन केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का हिस्सा है और काराकोरम पर्वत श्रंखला के बीच है. 1950 के दशक से ही ये विवाद का हिस्सा रहा है. चीन ने जबरदस्ती अक्साई चिन को हड़पा था और तबसे भारत लगातार इसका विरोध करता आ रहा है और चीन से विवाद का यह मुख्य कारण भी है. 1950 से ही भारत के हिस्से को चीन अपना हक़ जताता आ रहा है. ये कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे का इलाका है. अक्साई चिन, भारत को मध्य एशिया से जोड़ने वाले रेशम मार्ग (प्राचीनकाल और मध्यकाल में ऐतिहासिक व्यापारिक–सांस्कृतिक मार्गों का एक समूह था जिसके माध्यम से एशिया, यूरोप और अफ्रीका जुड़े हुए थे।) का हिस्सा था. ये भारत को मध्य एशिया से भाषा, व्यापार और संस्कृत से जोड़ने का भी काम करता था. इसका क्षेत्रफल 42000 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा है. निर्जन होने के कारण यहाँ कोई आबादी नहीं पायी जाती है.
अक्साई चिन पर चीन ने 1950 में कब्ज़ा कर लिया था लेकिन उस समय भारत को इस बात का पता नहीं चला था. लेकिन जब 1957 में भारत को पता चला की जब इस इलाके में सड़क निर्माण की खबर आयी. भारत द्वारा विरोध जताया गया, तनाव हुआ दोनों देशों के बीच और ये तनाव बाद में युद्ध का कारण बना. 1958 में चीन ने इस सड़क को अपने नक़्शे में भी दिखाया।
अक्साई चिन का इलाका चीन के जिनजियांग प्रांत से जुड़ता है, चीन अपने यहां के नक्शे में इस इलाके को जिनजियांग का इलाका बताता आया है. जिनजियांग–तिब्बत उच्च–मार्ग, अक्साई चिन होकर जाता है. भारत ने हमेशा इसका विरोध किया है और इस कब्जे को अवैध बताया है.
1951 में चीन ने अक्साई चिन में सड़क का निर्माण शुरू किया और 1957 तक बना दी. इस 179 किलोमीटर लम्बी सड़क के बनने के बाद शिनजियांग प्रांत तिब्बत से जुड़ गया. भारत के लगातार विरोध के कारण ये विरोध युद्ध में बदल गया और 1962 में भारत–चीन के बीच युद्ध हुआ और अक्साई चिन पर चीन का कब्ज़ा हो गया. ये जगह रणनीतिक विचार के लिहाज से बहुत अहम थी. अक्साई चिन मध्य एशिया की सबसे ऊंची जगह है, जिसके कारण चीन की नजर इस पर थी. अक्साई चिन पर चीन का कब्ज़ा होने से वहां चीन की सेना हमेशा बढ़त में रहती है, क्योंकि अक्साई चीन ऊंचाई पर है और ऊंचाई से हमला करना आसान होता है जैसे डोकलाम में भारतीय सेना को फायदा मिलता है ऊचाई पर रहने का.
अक्साई चीन शब्द “उईगर” भाषा से आया है जो कि एक “तुर्की” भाषा है. “अक” का मतलब “सफ़ेद” और “साई” का मतलब “घाटी“.उईगर का एक शब्द है “चोअल” जिसका अर्थ है “वीराना” या “रेगिस्तान” जिसका पुरानी “ख़ितानी भाषा” में अर्थ “चिन” था. लेकिन यह विवादित है क्योंकि चीन की सरकार इस पर अपना अधिकार जताने के लिए इसका मतलब “चीन का सफ़ेद रेगिस्तान” कहती है
यहाँ पर “अक्सेचिन” नाम की झील और “अक्साई चीन” नाम की नदी बहती है. हिमालय और अन्य पर्वत यहाँ भारतीय मानसूनी हवाओँ को यहाँ आने नहीं देते इसलिए बारिश और हिमपात यहाँ लगभग ना के बराबर है. शिनजियांग प्रांत उइगर मुस्लिम बाहुल्य इलाका है.
भारतीय राजनीतिक दलों द्वारा अक्साई चीन आरोप–प्रत्यारोप का एक प्रमुख मुद्दा रहा है , समय–समय फिर विरोधी दल एक–दूसरे पर आरोप लगाते रहते हैं. वर्तमान सरकार का कहना है की तत्कालीन सरकार के उदासीनता और ढुलमुल रवैये के कारण अक्साई चिन हमसे छीन लिया गया और विपक्षी दल का कहना है की जैसे पाकिस्तान से POK माँग रहे हो, सख्त रवैया अपनाया हुआ है वैसा ही रुख अक्साई चिन के लिए क्यों नहीं अख्तियार करते हो.
अक्साई चीन का रणनीतिक महत्व ये है की यहाँ से भारत की सेना चीनी सेना पर नज़र रख सकती थी. क्योंकि ये मध्य एशिया की सबसे ऊँची जगह है. ऊँचाई पर होने से सामरिक दृष्टि से काफ़ी अहम हैं. अगर समय रहते चीन को घुसपैठ करने से रोक दिया जाता, तत्कालीन सरकार समय रहते सचेत हो जाती तो आज ये महत्वपूर्ण हिस्सा हमारा होता.
I hope you enjoyed this post.
Thanks a lot!!!
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इस समय की सबसे महत्वपूर्ण जानकारी दे डाली भाई मन प्रसन्न हो गया।
आपका धन्यवाद
Written good guru. Keep it up.
??Jai Hind Jai Bharat??
Thanks so much for the post.Much thanks again. Really Cool.