जितेन्द्र की कलम से….
अपनो की चाहत से बड़ा कोई धोखा न था, साहिल पर डूबने का भरोसा ना था, काटों ने जख्म दिया…
जितेन्द्र की कलम से
Jitendra Ki kalam se. Poem written by Jitendra Kumar Srivastava. जितेन्द्र की कलम से. Rising Star Jitendra Kumar
Abode of my thoughts
अपनो की चाहत से बड़ा कोई धोखा न था, साहिल पर डूबने का भरोसा ना था, काटों ने जख्म दिया…
सभी देश फूले बैठे थे अपने-अपने परमाणु पर, पर सब के हालात दिख गये एक छोटे से विषाणु पर, बद से…
मुश्किलो में बहक जाना आसान होता है हर पहलू जिंदगी का इम्तिहान होता है डरने वाले को यहाँ कुछ नहीं…
दिन ढल चुका है शाम जा रही है यह रात भी देखो हम पर हंसे जा रही है हर वक्त…
Jitendra Ki kalam se. Poem written by Jitendra Kumar Srivastava. जितेन्द्र की कलम से. Rising Star Jitendra Kumar