Abode of my thoughts
अक्सर लोग शराब पीने की शुरुआत शौक के तौर पर करते हैं लेकिन बाद में इसके आदी हो जाते हैं. और यही उनकी प्राथमिकता बन जाती है. शराब पीना या नशा करना आज कल फैशन बन गया है. सबको पता है की शराब पीने से नुकसान के अलावा कोई फायदा नहीं है फिर भी लोगों के दिलों–दिमाग में ये छाया हुआ है और अपनी पैठ इतनी गहरी बना चुका है की इससे निकलना मुश्किल सा लग रहा है. लोगों की जिंदगियां ख़राब हो रही हैं, घर–परिवार, रिश्ते–नाते सब तबाह हो रहे हैं लेकिन शराब को आदमी नहीं छोड़ना चाह रहा है. गम हो तो शराब का सेवन करता है और अगर ख़ुशी हो तो भी शराब का सेवन होता है आखिर ये आधुनिक जीवन शैली का सूचक माना जाने लगा है.
दुनिया में इतनी बातें हो रही हैं, समाज को शिक्षित करने का अभियान चलाया जा रहा है, विकास की बातें हो रही हैं, लोगों का चाँद पर जाने का तैयारी चल रहा है लेकिन आज भी बाहर निकलो तो कही न कही 2-4 लोग शराब पी कर नाली पे पड़े हुए मिल जायेंगे।
शराबी आदमी के ऊपर कभी किसी भी प्रकार का विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि ये शराब के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं. ये सब प्रकार के रिश्ते–नाते को तार–तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। ये नुकसान–दायक होते हैं कब, कहाँ, कैसे किसको नुकसान पंहुचा दे कोई कह नहीं सकता।
आज कल मैं देखता हूँ की लोगों को शराब पीने का बहाना चाहिए होता है. अगर कोई तनाव है परेशानी है तो शराब में उसका हल खोजने की कोशिश करता हैं. खुश हुए तो भी शराब चाहिए, आधुनिकता का आलम तो ये है की शादियों और पार्टियों में एक अलग से शराब का स्टाल लगने लगा है. और अजीब तो तब लगता है जब आप नहीं पीते हों और मना कर दें तो सामने वाला ऐसे हीन–भावना से देखता है की खुद में अपराध–बोध उत्पन्न हो जाता है की क्या सच में मैं शराब न पी कर कोई अक्षम्य–अपराध कर रहा हूँ?
नौजवानो में नशे की लत आजकल आम बात है. नशा करना ये अपना स्टैण्डर्ड मानने लगे हैं. ये चाहे न अपने लिए कुछ कर पाए न अपने माँ–बाप के लिए न कुछ समाज के लिए न देश के लिए न ही अपने दोस्त–मित्र के लिए लेकिन शराब पीकर झूमने को ये सर्वोपरि मानते हैं. शरीर धीरे–धीरे गल रहा है, भरी जवानी में बीमारियां घेर रही हैं लेकिन कोई परवाह नहीं।
हालांकि आप अगर शराब पीने वाले से इसके फायदे पूछेंगे तो वो इतने फायदे गिना देंगे की अगले दिन आप उसके साथ ठेके पर नजर आएंगे लेकिन मैं इस बात का बिलकुल समर्थन नहीं करता।
शराब या मदिरा का सेवन हजारों सालों से होता चला आ रहा है. इसलिए इसके फायदे और नुकसान पर भी लम्बे समय से चर्चा चली आ रही है. असल में कोई भी चीज है इस दुनिया में उसके दो पहलू होते हैं अगर उसका फायदा है तो नुकसान भी है. अति किसी की भी अच्छी नहीं होती वही फार्मूला शराब में भी लागू होता है. अगर सीमित मात्रा में किया जाये तो ये मानव शरीर के लिए फायदेमंद भी है लेकिन एक बार इसका स्वाद लग जाने के बाद कोई भी सीमित मात्रा में इसका सेवन नहीं करता इसलिए मैं यहाँ इसके किसी भी प्रकार के फायदे के बारें में चर्चा नहीं करुँगा।
शराब पीने वाला या नशा करने वाला आदमी एक समय के बाद शराब को ही सबकुछ मानने लगता है. चाहे उसका घर–परिवार बर्बाद हो जाये, नौकरी–धंधा सब चौपट हो जाये लेकिन वो शराब से मोह भंग नहीं कर पता. उसके बच्चे के स्कूल की फीस जा रही है या नहीं जा रही, घर में चूल्हा जल रहा है की नहीं जल रहा उससे कोई मतलब नहीं बस उसको शराब पीने का बंदोबस्त होना चाहिए। और जब सब जमापूंजी ख़त्म हो जाती है फिर घर में कलह शुरू हो जाती है. फिर घर के सामान, बर्तन भाड़े बेचने की नौबत आ जाती है वो भी किस कारण से की शराब के लिए पैसे चाहिए होते हैं. बच्चे का भविष्य अंधकार की तरफ जा रहा है उससे कोई मतलब नहीं उसको। शराब के लिए झूट बोलना, बीमारी का बहाना बनाना ये सब आम बातें हैं. और ऐसा आदमी अपने घर परिवार से जल्दी ही नियंत्रण खो देता है.
शराब के सेवन से घरेलू हिंसा में भी काफी इज़ाफ़ा हो रहा है. परिवार टूट रहे हैं. आपराधिक गतिविधियों को बढ़ाने में शराब का अहम् योगदान है. शराब पी कर वाहन चलाने से हर साल हजारों लोग मौत को गले लगा रहे हैं. नशे में लोग हत्या, लूट, बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दे रहे हैं.
शराबी लोगों के बच्चे भी उनके नकारात्मक रवैये के कारण गलत रास्ते पर निकल जाते हैं. इस तरह ये लोग खुद तो बरबाद होते ही हैं और अपने आने वाले पीढ़ी को भी बरबाद कर देते हैं.
समाज, गली–मोहल्ले में परिवार की इज़्ज़त लुटाने में शराबियों को थोड़ा सा भी हिचक महसूस नहीं होता। और इनके कारनामों से परिवार को बेइज़्ज़ती उठानी पड़ती है सो अलग. अपने ही घर में, समाज में असुरक्षित महसूस करते हैं. समाज के लोग उनको हीन भावना से देखने लगते हैं. शराबियों को इस बात का एहसास नहीं होता लेकिन उनसे जुड़े हुए लोग उनके माँ–बाप, पत्नी, बच्चों को जो सामाजिक जिल्लत उठानी पड़ती है ये उनका दिल ही जानता है. और अगर माँ–बाप, पत्नी–बच्चे उनसे नशा करने को मना करते हैं तो मारपीट पर उतारू हो जाते हैं. इनको बस इतना ही चाहिए होता है की बस पीने का जुगाड़ हो जाये न खुद को आगे बढ़ाने का कुछ सोचना है और न ही अपने ऊपर निर्भर लोगों के बारें में सोचते हैं.
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शराब कुछ समय के लिए तो आपका मूड तो बना देता है, क्षणिक सुख जरूर प्रदान करता है लेकिन धीरे धीरे ये आपकी और आपसे जुड़े लोगों की जिंदगी नरक बना देता है. ज्यादा गहराई में नहीं जाऊंगा लेकिन शराब कैसे आपको शारीरिक नुकसान प्रदान करता है उस पर थोड़ा संक्षेप में प्रकाश डालूंगा।
शराब खून के जरिये शरीर के हर हिस्से में पहुँचता है और जहाँ–जहाँ जाता है उसको ख़राब ही करता है. तमाम प्रकार के होने वाले कैंसर का कारक होता है शराब। नपुंसकता, दिमागी कमजोरी, ह्रदय रोग शराब से होने वाले आम रोग हैं. लिवर, किडनी आदि में गंभीर रोग पैदा करता है. शरीर में अवसाद पैदा करता हैं. जरुरी विटामिन्स, प्रोटीन्स और मिनरल्स बनने में बाधा पैदा करता है. हड्डियां कमजोर हो जाती है, आदमी को भूलने की बीमारी हो जाती है, नींद नहीं आएगी।
रोजाना शराब पीने वालों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) भी ख़त्म हो जाती है और उनका आत्म–विश्वास भी खत्म हो जाता है. फिर लोगों के बीच में उठना–बैठना, बात करना वो avoid करने लगते हैं.
लगभग 3 मिलियन लोग हर साल शराब से मरते हैं संसार में और 200 से ज्यादा बीमारियों का कारण होता है शराब। (As per WHO website data)
अभी अभी कोरोना काल में देखा की सब बंद था लेकिन शराब के ठेके खोल दिए गए, सब नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए लोग ठेके के सामने लाइन लगा के खड़े हो गए. जहाँ फल सब्जी, दूध, राशन की दुकाने बंद थी वहां ठेके खोलने की क्या जरुरत थी सरकार को ये समझ से परे है. फिल्मों में किसी भी शक्तिमान टाइप आदमी को दिखाते हैं तो उसके हाथ में शराब का पैग जरूर दिखाते हैं. विज्ञापनों में भी ऐसा दिखाते हैं की शराब पीने के बाद आदमी वो सब असाधारण काम कर सकता है जो नार्मल आदमी मतलब शराब ना पीने वाला आदमी नहीं कर सकता है. उसमे सीधे तौर पर या बताया जाता है की ये पीने से आदमी के अंदर daring आती है। हमारी भी ये आदत है की गलत चीजे हम जल्दी पकड़ते हैं, और फिल्मे हमारे ऊपर गहरा प्रभाव छोड़ती ही हैं.
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कुछ लोगों को तो मैंने देखा है जो सिर्फ उतना ही काम करते हैं जितने में उनको ठेके पर शराब मिल जाये। शराब पीने भर का मिल गया हो गया उनका दिहाड़ी। न पैसे कमाने की भूख, न परिवार पालने की जिम्मेदारी, न आगे बढ़ने की ललक कुछ भी नहीं। लोगों की जिंदगियां बरबाद होते देखी है मैंने, उनके परिवार को बिखरते देखा है लेकिन शराब से वो मुँह मोड़ नहीं पाए.
शराब एक उत्तेजक पेय पदार्थ है जिसको पीने के बाद शरीर में क्षणिक उत्तेजना पैदा होती है और इस के कारण कारण ऐसे–ऐसे अपराध हो जाते हैं जो पूरी जिंदगी का घाव दे जाते हैं.
और एक अहम् बात अक्सर लोगों को कहते हुए सुना है की फलां आदमी के कारण, मेरे इस दोस्त के कारण, ऑफिस पार्टी में सीनियर्स के दबाव में आकर मैंने पहली बार शराब का सेवन किया था जिसकी लत मुझे लग गयी है अब, तो ये सरासर गलत है, इस बात को मैं सिरे से ख़ारिज करता हूँ, जब तक आप नहीं चाहोगे तब तक कोई आपको किसी भी प्रकार की बुरी लत नहीं लगवा सकता। अपनी हालत के, अपने आदत के आप खुद जिम्मेदार होते हो कोई दूसरा कभी नहीं हो सकता है.
कुछ कोशिश की जाये तो इस नासूर से खुद बचा जा सकता है और अपने परिवार को बिखरने और टूटने से बचाया जा सकता है. कोई भी समस्या ऐसी नहीं है जिसका समाधान ना हो बस जरुरत होती है एक सकारात्मक शुरुआत करने की.
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सही लिखा है भाई
शराब से कभी किसी का फायदा नही हुआ है सिर्फ और सिर्फ नुक्सान ही हुआ है शराबी व्यक्ति कितना भी प्रतिष्टित हो पर समाज उसे इज्जत की नजर से कभी नही देखता। इसलिये शराब से जितना दूर रहो उतना ही बेहतर है।