One thought on “आत्मसम्मान”
Comments are closed.
Abode of my thoughts
आत्मसम्मान वो चीज़ है जो कि हमें दुनिया में हमेशा सिर ऊँचा रख कर जीना सिखाती है। हमें बेशक दूसरों को सम्मान और इज़्ज़त देनी चाहिए लेकिन ये तभी तक किया जाना चाहिए जब तक ये जायज़ है और सामने वाले व्यक्ति से भी आपको इज़्ज़त मिल रही हो। हमें किसी भी कीमत पर अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं करना चाहिए, फ़िर चाहे हमारे सामने कैसी भी परिस्थिति क्यों ना आये। कई बार ऐसा होता है कि हम किसी को इस हद तक चाहने लग जाते हैं कि उन्हें हम किसी भी हाल में खोना नहीं चाहते हैं। ऐसे में हम उनके साथ बने रहने के लिए अपने आत्मसम्मान और अपनी इज़्ज़त का भी ख़्याल करना भूल जाते हैं।
वास्तव में हम ऐसा कर के खुद के साथ ही अन्याय करते हैं। बेशक हमें किसी को चाहने का और किसी को अपनी लाइफ में हमेशा बनाये रखने का हक है, लेकिन ऐसा कभी भी अपना आत्मसम्मान खोने की कीमत पर नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर एक बार किसी को पाने के लिए आप खुद की इज़्ज़त गिरा लेंगे, तो आगे चलकर बार–बार आपको ऐसा करना पड़ेगा।
अपने आत्मसम्मान को जिन्दा रखने के लिए या खुद से प्रेम करने के लिए ये जरुरी नहीं है की आप बहुत बड़े किसी पद पर हों, उम्र में बड़े हों, आपके पास बहुत पैसा है या आप बहुत प्रसिद्ध हैं. इस दुनिया में हर किसी को अपने आत्मसम्मान की रक्षा करने का और खुद से प्रेम करने का अधिकार है.
आत्मसम्मान का अर्थ है की अपने आपमें विश्वास रखना और अनुग्रह, सम्मान और गरिमा के साथ व्यवहार करना।
आत्मसम्मान और घमंड के बीच के अंतर को समझना बेहद जरूरी है। खुद के अंदर पॉजिटिव एटीट्यूड विकसित करें ना कि एटीट्यूड के चक्कर मे द्वेष की भावना। सम्मान सिर्फ़ उसी को दें जो आपका सम्मान करें और कभी भी किसी के साथ द्वेष की भावना ना रखें। यही पॉजिटिव एटीट्यूट है, जिसे हर इंसान में होना जरूरी है। क्योंकि सच कहा गया है कि जो इंसान खुद का सम्मान नहीं कर सकता उसका सम्मान दुनिया भी नहीं कर सकती।
आत्मसम्मान वह सम्मान है जो आप अपने लिए रखते हैं, जबकि अहंकार आपके अपने महत्व की समझ है। बढ़ा हुआ अहंकार आपके बहुत ज्यादा आत्मसम्मान से पैदा हो सकता है. अहंकारी व्यक्ति कभी–कभी दूसरों से असहज और छोटा महसूस करता है क्योंकि अंदर ही अंदर वो खुद को बेकार और सम्मान के अयोग्य महसूस करने लगते हैं.
लेकिन स्वाभिमानी व्यक्ति, जो अपना सम्मान खुद करता है उसके अंदर भी अहंकार होता है लेकिन ये अहंकार उसके हाव–भाव में, क्रिया–कलापों में नहीं दिखता है. आत्मसम्मान वाला व्यक्ति अपने आपको पसंद करता है और उसके व्यक्तिगत सफलता या असफलता के ऊपर निर्भर नहीं करता।
आत्मसम्मान हमारी बुनियादी और तार्किक सिद्धांतों पर अटल रहने की प्रवृत्ति है । आम तौर पर अहंकारयुक्त व्यक्ति अहंकार को ही आत्मसम्मान समझने लगता है जो सर्वथा गलत है।
आप गलत हैं और उसका सामना नहीं कर सकते यह स्थिति अहंकार को जन्म देती है और आप सही हैं लेकिन दूसरे उसको स्वीकार नहीं करना चाहते इस स्थिति से आत्मसम्मान की भावना उत्पन्न होती है.
अहंकार असत्य का रास्ता है जबकि आत्मसम्मान सत्य का। अहंकार युक्त व्यक्ति को अपने हितैषी भी दुश्मन लगने लगते हैं।
Also read: आत्मनिर्भरता
जब आप किसी के साथ रिश्ते में होते हैं जैसे आपको अपने पार्टनर, दोस्त, माता–पिता, भाई–बहन या कोई भी हो उसका भी सम्मान करना चाहिए, उसको इज़्ज़त देनी चाहिए लेकिन अपने आत्मसम्मान को रखते हुए क्योंकि आत्मसम्मान सभी स्वस्थ और मज़बूत संबंधो की नीव है. क्योंकि जब आप खुद का सम्मान करेंगे, आप खुद को जानेंगे की आप कौन हैं क्या हैं तो आप अपने साथी, दोस्त, पार्टनर या किसी को भी छोटा महसूस नहीं होने देंगे.
आत्मसम्मान आपके द्वारा किये गए सभी निर्णयों की नींव रखता है, की आप अपने साथ कैसे व्यव्हार करते हैं और दूसरों को अपने साथ कैसा व्यव्हार करने देतें हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आपकी ख़ुशी के लिए आत्मसम्मान कितना जरुरी है?
बहुत सारे लोग ये सोचते हैं की ख़ुशी के लिए स्वास्थ्य, धन और व्यक्तिगत व्यव्हार ही काफी हैं लेकिन ये कभी नहीं सोचा होगा की आपका आत्मसम्मान भी आपकी ख़ुशी के लिए बहुत जरुरी है.
Also Read:How to Speak English fluently
1. लोग हमेशा आपको तब ही याद करते हों जब उनको आपकी जरुरत होती हो या लोग आपको बिना कुछ वापस किये हरदम कुछ न कुछ मांगते रहें और आपकी उनकी जरूरते पूरी करते रहते हैं और आप उनको या उनकी हरकतों को पसंद न करते हों, ऐसे में आपका मन हमेशा अशांत रहेगा भले ही आप किसी की मदद ही क्यों न कर रहें हो.
2. जब आप किसी रिश्ते में हो और खुद को भुला दें की आप कौन हैं, क्या हैं. और आपके साथ वाला आपको बिना कोई सूचना दिए या आपके बिना किसी स्वीकृति के निर्णय लेता रहे और आपको बस उसका साथ देते रहना है. और आप वो सब करने लगे जो आपने कभी किया न हो या आपके स्वाभाव के खिलाफ हो, ऐसे में आप अपने मूल्यों को भूल जाते हैं.
3. जब आप किसी का ध्यान अपने ऊपर चाहते हों और आपको न दिया जाये फिर आप आकर्षण पाने के लिए बेवकूफी भरी हरकतें करने लगो. ऐसे करके आप अपनी छवि को ही धूमिल करोगे।
4. जब आप पर बुरी आदतें हावी होने लगे, आप नशे की गिरफ्त में होने लगो ऐसे में आपको खुद से प्यार करना आवश्यक हो जाता है.
5. आप उन लोगों की लगातार परवाह करते जा रहे हैं जो आपकी बिलकुल परवाह नहीं करते, आप उनके लिए पहाड़ तोड़ दोगे फिर भी वो आपको नोटिस नहीं करेंगे।
6. आप लगातार किसी से मौखिक, मानसिक शारीरिक शोषण सहन कर रहे हो ये सोच के की कभी जिंदगी में उन्होंने आपके साथ एक बार अच्छा कुछ किया था और आप उनसे अपनेपन की भावना से चिपके पड़े हो.
7. आप हमेशा नम्रता से चलते हो क्योंकि आपको ऐसा लगता है की किसी के लिए आपकी राय का कोई महत्त्व नहीं है या आपने खुद को ऐसा मान लिया है की आपके पास ऐसा कुछ नहीं है जो दूसरों के काम आये.
ऐसे में आप दूसरों के लिए तो काम कर रहें हैं उनके लिए सोच रहें हैं और आप ये किसी भी परिस्थिति में कर रहे हों लेकिन आप अपने आपको खो रहे हैं, अपने वजूद को खो रहें हैं, अपने आत्मसम्मान को खो रहे हैं और खुद से प्रेम बिलकुल नहीं करते.
1. आप अपने जीवन के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने की इच्छा के साथ मजबूत चरित्र प्रदर्शित करेंगे, और आप अपने मूल्यों और विश्वासों के लिए लड़ेंगे, चाहे कुछ भी हो। यह हर किसी को नोटिस करेगा और आपके साहस की प्रशंसा करेगा।
2. जब आप स्वयं का सम्मान करते हैं तो आप पाते हैं की आप एक बेहतर और योग्य व्यक्ति हैं और प्यार और सम्मान के हक़दार हैं. और जब आपकी ये सोच हो जाती है तो आप अपने आस पास के लोगों को भी प्यार और सम्मान देते हैं इससे आपका व्यक्तित्व और निखरता है.
3. जब आप खुद से प्यार करते हैं तो आप अपनी विशेषता, कौशल, प्रतिभा और क्षमता को महत्त्व देतें हैं, मतलब दूसरे से तुलना नहीं करते और जब कोई अपने तरीके से ऊपर उठता है तो आपको ईर्ष्या की भावना नहीं होती।
1. कभी भी अपने मूल्यों से समझौता न करे अगर आप गलत नहीं हैं तो खुद पर विश्वास रखें उनको बदलने की जरुरत नहीं है. अगर आप ऐसा करते हैं तो खुद को नीचे दिखाएंगे.
2. अपनी शौक का सम्मान करना सीखों–उनको छुपाने की जरुरत नहीं हैं. उनको खुल कर शेयर करो ऐसे बहुत से लोग मिलेंगे जो आपकी असलियत में दिलचस्पी रखेंगे।
3. उनलोगों से दूर रहें जो आपको बदलने की कोशिश करें, उनके साथ रहें जो आप जैसे हैं वैसे में ही स्वीकार करें.
4. ईमानदार रहें, अपने वचन का सम्मान करें।
5. लोग आपको कम महत्त्व देंगे जब उनको ये पता चलेगा की आप रीढ़विहीन हैं और आसानी से कुछ भी फेर–बदल किया जा सकता है, “ना“बोलना सीखें।
6. अपनी असफलताओं से हमेशा कुछ सीखें, नकारात्मक चीजों को अपने ऊपर हावी न होने दे.
जब लोग आपको तथ्यात्मक तरीके से नहीं हरा पाते हैं तो आपके आत्म–सम्मान पर चोट पहुँचाने का कोशिश करते हैं. ऐसे में आपको विचलित होने की जरुरत नहीं है. आपके अंदर ये विश्वास रहेगा की आप सही थे, आपने सही के लिए लड़ाई की, अपने मूल्यों अपने विश्वास के लिए लड़ाई की ऐसे में आपको आत्मग्लानि नहीं होगी की किसी गलत का साथ दे के आ गया.
Comments are closed.
अभिमानी और स्वाभिमानी में केवल इतना सा ही फ़र्क़ है की, स्वाभिमानी व्यक्ति कभी किसी से कुछ मांगता नहीं है, और अभिमानी व्यक्ति कभी किसी को कुछ देता नहीं है।
गजब लिखे हो सर