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आत्मनिर्भरता– Oxford ने ‘आत्मनिर्भरता‘ शब्द को 2020 का “Oxford Hindi Word of the Year” घोषित किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के कोरोना वायरस महामारी के दौरान ‘आत्मनिर्भर भारत‘ का नारा दिया था. उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था, समाज और व्यक्तिगत तौर पर लोगों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया था.
ये तो हो गई राजनीतिक बात लेकिन असल जिंदगी में आत्मनिर्भरता बहुत ही मायने रखती है तो आज हम इस पर ही चर्चा करेंगे।
जब हम अपने आपको असहाय महसूस करते हैं, हम वास्तव में या तो सक्षम नहीं होते या हमको अपनी ताकत, अपनी काबिलियत पर भरोसा नहीं होता और हम अपने साथ वाले को, दोस्त को, रिश्तेदार को या किसी अपने परिचित को अपने से ज्यादा आँकते हैं तब हम दूसरों के ऊपर निर्भर होते हैं. हम लोगों में से कुछ लोग तो बस इसलिए दूसरे के ऊपर निर्भर होते हैं की वो खुद थोड़ा सा भी Stress लेना नहीं चाहते। उनको पता है की उनके करने से भी वो काम होगा लेकिन हो सकता है की थोड़ा समय ज्यादा लगे या भाग दौड़ ज्यादा करनी पड़े इसलिए वो हमेशा दूसरों के ऊपर निर्भर रहते हैं.
हाँ अगर वास्तव में कोई फिजिकली चैलेंज्ड है या उम्रदराज है, वित्तीय रूप से कमजोर है या ऐसे भी बहुत सारे मामले हैं जिनमे सह–आश्रित होना मजबूरी है और इस आर्टिकल में ऐसे वास्तविक जरूरतमंद लोगों के बारें में बात नहीं कर रहा हूँ मैं. लेकिन अगर कोशिश करके धीरे धीरे वो भी आत्मनिर्भर हो सके तो इससे अच्छी बात कोई नहीं.
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अगर आप किसी के ऊपर निर्भर है किसी भी काम में या किसी भी काम के लिए तो आप निर्भर ही रह जायेंगे। हो सकता है की आपकी कुछ समस्या का समाधान भी हो जाये लेकिन आपकी जरुरत आपको ही पता है, आप जिसके ऊपर निर्भर है उसको इस बात का अंदाजा भी नहीं होता। वो बस आपकी बात सुनता है और आपको आश्वासन देता है, थोड़ा सा आपके साथ सहानुभूति प्रकट करता है लेकिन आपका दर्द वो नहीं ले सकता।
उदाहरण के लिए, आज कल बेरोजगारी बहुत बढ़ गयी है बहुत से लोग रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं. मुझसे भी बहुत से लोग कहते हैं और वास्तव में मैं उनके लिए कुछ करना चाहता हूँ (ये मैं अपनी बात कर रहा हूँ) लेकिन समय पर ऐसा नहीं हो पता. कभी–कभी हो जाता है और कभी–कभी बहुत समय तक सफलता नहीं मिलती। ऐसे में क्या होता है जब कोई मुझसे पूछता है तो बोल देता हूँ की भाई अभी तक नहीं हो पाया है मैं कोशिश में लगा हूँ जल्दी ही हो जायेगा। ऐसा बोल के तो मैं निकल जाता हूँ लेकिन उस बेचारे के बारें में सोचो की ये उत्तर वो पिछले कई महीनो से ऐसा सुन रहा है और ऐसी स्थिति–परिस्थिति में अपना घर–परिवार कैसे चला रहा होगा वो दर्द सिर्फ उसको पता होता है मुझे नहीं।
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या कुछ ऐसा काम है जैसे मान लीजिये आपने कोई अपना बिज़नेस स्टार्ट किया है और काम के मामले में पूरी तरह से अपने पार्टनर के ऊपर निर्भर हैं, आप अपने ऑफिस में अपने सहकर्मी के ऊपर निर्भर हैं या आप अपने ऑफिस के बॉस हैं और अपने कर्मचारी के ऊपर निर्भर हैं और हो सकता है ये इन तीनो केस में सब जेन्युइन हों, कोई आपके साथ धोखा ना करना चाहता हो लेकिन कभी विषम परिस्थितियों में आपको इनमे से किसी का साथ न मिले फिर क्या होगा? अगर किसी कारणवश आपका बिज़नेस पार्टनर भाग गया, आपका साथ छोड़ दिया तो भले ही आप बहुत पैसा रखे हो लेकिन आपका बिज़नेस ठप्प हो जायेगा क्योंकि बिज़नेस कैसे करना है आपको नहीं पता, आप समय पर ऑफिस का काम नहीं कर पाएंगे और बॉस से बातें सुननी पड़ सकती हैं और तीसरे केस में आपका कर्मचारी अगर छुट्टी कर गया और कोई इमरजेंसी आ गयी तो आप नहीं कर पाएंगे उसे. इन तीनो केस में समय और पैसे दोनों नुकसान होना है.
एक दूसरा उदाहरण देता हूँ आपके पास गाड़ी हैं और आपने ड्राइवर रखा हुआ है गाड़ी चलाने के लिए आपने ड्राइविंग नहीं सीखी कि मुझे क्या जरुरत मेरे पास तो ड्राइवर हैं. लेकिन सोचिये की किसी दिन अचानक रात में कही जाना पड़े किसी इमरजेंसी में और आपके ड्राइवर का फ़ोन स्विच ऑफ बताये या रास्ते में ड्राइवर की तबियत ख़राब हो जाये फिर आप क्या करेंगे?
और ऐसे बहुत से व्यक्तिगत कार्य होते हैं जिसमे आप किसी के ऊपर निर्भर होते हैं और वो कार्य जब समय पर पूरा नहीं होता है और आपको कोई हानि हो जाती है तब आप सोचते हैं की काश मैं खुद दौड़ भाग कर लिया होता तो शायद हो जाता या इससे कम नुकसान होता। निर्भरता में मन में हमेशा असंतुष्टि बनी रहती है. ये सब तो महज एक–दो उदाहरण है, हमको अपने दैनिक जीवन में ऐसे बहुत सारे उदाहरण देखने को मिल जायेंगे।
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अध्ययनों से ज्ञात होता है की आत्मनिर्भर लोग ख़ुद को ज़्यादा ख़ुश महसूस करते हैं, ऐसा इसलिए होता है की जब हम अपनी ज़िन्दगी को अपने हाथों में लेने के काबिल हो जाते हैं तब ज़्यादा राहत और संतुष्टि का अनुभव करते हैं | आत्मनिर्भरता आपको दूसरों की परवाह किये बिना जो आप चाहते हैं वो करने की आज़ादी देगी और अपनी समस्याओं का मूल रूप से समाधान खोजने के लिए आपको प्रेरित भी करेगी | जो लोग अपने जीवन को अपने नियंत्रण में रखना चाहते हैं और ये सोचते हैं की अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए उन्हें किसी और की जरुरत नहीं है, उन लोगों के लिए आत्मनिर्भर होना एक बहुत महत्वपूर्ण योग्यता है |
आप जैसे हैं, आपकी जो भी आदतें हैं, जिसमे आपकी रूचि है उसको स्वीकारें और खुद से प्यार करें और अपने ऊपर भरोसा रखें। अपने आपको किसी से कम न समझें। आप हमेशा ये बहाने ना बनाये की आप इस लायक नहीं हैं या आपको कुछ विरासत में नहीं मिला है. आप अपने आपको दिन प्रति दिन बेहतर बनाये और आगे बढ़ें। और अगर आपको अपने ऊपर भरोसा नहीं होगा तो हमेशा दूसरे के ऊपर निर्भर रहेंगे। इस दुनिया में सब आदमी एक जैसा नहीं होता, और सभी के पास कुछ न कुछ हुनर, काबिलियत होती है इसलिए अपनी ताकत अपनी काबिलियत पर भरोसा रखें। जब आपको खुद पर भरोसा होगा तभी लोग आप पर भरोसा करेंगे।
लोगों के संपर्क में होना अच्छी बात है लेकिन उनके ऊपर भावनात्मक रूप से या किसी भी रूप में निर्भर होना अच्छा नहीं है. मान लीजिये आपका कोई दोस्त है बहुत ताकतवर है, जहाँ आपको किसी दिक्कत परेशानी का सामना होता है आप उससे मदद लेते हैं लेकिन ये सच है की वो हमेशा आपके साथ नहीं रहेगा और अगर साथ भी रहेगा तो आपकी क्या पहचान होगी की आप सिर्फ उसके दोस्त हो. आप उसके साथ कहीं भी जाओगे तो आपकी क्या पहचान बताएगा की ये बस मेरे दोस्त हैं और आपकी अपनी कोई पहचान नहीं होगी। क्योंकि उसको भी पता है की ये तो पूरी तरह से मेरे ऊपर निर्भर है और आप उसके बराबर कही बैठ नहीं पाओगे बस पीछे ही घूमना रहेगा। ऐसे में तो मेरा मानना है की आप अपने आपको व्यक्तिगत रूप से ऐसा ढालिए की आपकी एक अलग पहचान हो और अगर आपका दोस्त किसी चीज में ताकतवर है तो आप भी किसी क्षेत्र में ताकतवर रहो और इस तरह एक दूसरे के पूरक बनो. मतलब कहने का है की जब आप और आपका दोस्त मिले तो एक और एक ग्यारह हो जाओ न की कोई एक दूसरे के ऊपर निर्भर बन के साथ निभाओ। और अगर आप ऐसा करते हैं तो आपकी दोस्ती और प्रगाढ़ हो जाएगी.
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बच्चा जब इस दुनिया में आता है तो वो अपने माता–पिता के ऊपर निर्भर होता है और ये प्रकृति का नियम भी है लेकिन एक निश्चित समय के पश्चात् बच्चे को भी जब वो युवा हो जाता है तो उसको अपने माता पिता के ऊपर निर्भर नहीं होना चाहिए। अगर वो बड़ा होकर आत्मनिर्भर बन के कुछ कर सका तो अगर गरीब घर में पैदा हुआ है तो अपने माता–पिता को एक अच्छी जिंदगी देगा और अगर अमीर घर में पैदा हुआ है तो अपनी विरासत को आगे बढ़ाएगा। और अगर आश्रित ही रह गया तो सब ख़तम ही करेगा वो जो भी पहले से बना हुआ था.
आप अपने निर्णय खुद लीजिये। हाँ आपको लगता है की आपके आस पास के लोग आपका भला ही चाहते हैं तो आप उनसे राय ले सकते हैं लेकिन करिये वही जो आपका मन करे, जो आपको ठीक लगे क्यों की आप जो करेंगे उसका परिणाम आपको मिलना है आपको राय देने वालों को नहीं। और किसी को इतना मत अधिकार दीजिये की वो आपके व्यक्तिगत निर्णय में फेर–बदल करे. क्यों आप किसी से पूछेंगे तो वो अपने हिसाब से आपको राय देगा लेकिन आप कहाँ तक जा सकते हैं, आपकी पहुंच कहा तक है, आपके लिए क्या सही है, और किसी चीज के लिए उसका सही समय क्या है ये सिर्फ आपको पता होता है.
आप खाने के टेबल पर अपने चार दोस्तों के साथ बैठे हैं तो आप वही आर्डर करिये अपने लिए जो आपको खाना है. चार आदमी को चार अलग अलग डिश पसंद होगा तो आप सबके पसंद का नहीं खा सकते हैं और ये निर्णय लेने में भी काफी समय बरबाद होता है.
आत्म निर्भर होकर निर्णय लेने से आप घमंडी नहीं हो जायेंगे ये बात अपने दिमाग में रखिये आप. आत्मनिर्भरता ये दिखाता है की आप कितने सुलझे हुए हैं और आपके अंदर निर्णय लेने की क्षमता कितनी है.
कोई स्त्री है उसको अपने पति के ऊपर इतना निर्भर नहीं होना चाहिए की वो अपने जीवन की स्वतंत्रता खो दे या किसी आदमी को भी अपने पत्नी के ऊपर निर्भर होकर अपने आप को नहीं खोना चाहिए। आप भावनात्मक रूप से एक दूसरे से जुड़े हैं, एक दूसरे की जिम्मेदारी उठा रहे हैं यहाँ तक ठीक हैं लेकिन अगर आप पूरी तरह से किसी के ऊपर निर्भर हैं तो हिटलर शाही भी बर्दाश्त करना पड़ेगा आपको।
आत्म निर्भरता वास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव जीवन की व्यक्तित्व विकास के मुख्य पहलू में से एक है। यह हमें दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति बनाता है, यह हमें महसूस कराता है कि हम अपनी शर्तों पर दुनिया में कुछ भी कर सकते हैं और इसके लिए हमें किसी की मदद की आवश्यकता नहीं है। यह हमें हमारे कौशल और ज्ञान पर विश्वास दिलाता है जो हमें अपना आत्मविश्वास बनाने में मदद करता है।
जब आप आत्म–निर्भर होना शुरू करते हैं, तो आत्म–निर्भरता न केवल आपके परिवार के भार को कम करती है। इसके अतिरिक्त, आत्म–निर्भरता आपको अपने परिवार के सदस्यों और प्रियजनों के प्रति एक मजबूत संपत्ति में बदल देती है। इसका मतलब है कि आप अपने जीवन में जिम्मेदारी और समझदारी से निर्णय लेने में सक्षम हैं।
जब आप आत्मनिर्भर होते हैं तो चाहे वो कार्यस्थल हो या आपका व्यक्तिगत क्षेत्र, हर जगह आपका मान–सम्मान बढ़ेगा
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जब आप अधिक आत्म–निर्भर हो जाते हैं, तो आप वास्तव में अपने सभी विचारों पर काम कर सकते हैं जो आपके दिमाग में आते हैं। Innovation को वास्तव में एक मूल्यवान वस्तु माना जाता है। Innovation और रचनात्मकता आपको एक मजबूत और शक्तिशाली संपत्ति बनाते हैं जब आप अपने सपने की योजनाओं पर काम करते हैं।
जब आप दूसरों पर भरोसा करना बंद कर देते हैं तो आप अधिक उत्पादक और आत्मनिर्भर बन जाते हैं। इसका मतलब है कि अब आप कुछ भी और जो कुछ भी आप चाहते हैं उसे पूरा कर सकते हैं। इस तरह की उपलब्धियां आपको अनंत प्रगति की राह पर ले जाती हैं। छोड़ने के बजाय आप गिरते हैं, उठते हैं, और आगे बढ़ते हैं।
आत्मनिर्भरता, अर्थव्यवस्था के विकास में मदद कर सकती है। यदि हमारा देश आत्मनिर्भरता प्राप्त करता है, तो यह रक्षा उपकरणों, नवीनतम उपकरणों आदि पर अन्य देशों पर हमारी निर्भरता को कम करेगा और हमें अधिक नवीन और रचनात्मक बना देगा। इसके अलावा अगर हम नवीनतम तकनीकों को विकसित करने की कोशिश करेंगे तो इससे अर्थव्यवस्था में कीमतों में कमी आएगी क्योंकि इससे आयात पर हमारी निर्भरता कम होगी।
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बहुत खूब बहुत अच्छा लेख है सभी को अपने जीवन में आत्मनिर्भर होना चाहिए क्योंकि किसी दूसरे के ऊपर निर्भर रहना एक निश्चित समय तक तो ठीक है परंतु कभी ना कभी ऐसी स्थिति आती है कि जब हमें दूसरों का सहारा छोड़कर खुद अपने लिए या अपनों के लिए काम करना पड़ता है ऐसी दशा में यदि हम हमेशा दूसरों के प्रति निर्भर रहेंगे तो हम आत्मनिर्भर कब बनेंगे सोचना पड़ेगा इस तरह से खुद कुछ काम करते रहें आत्मनिर्भर बने
Independent hona ya banna hamare hath me hai..to puppet kyu banna….amazing inspiration anurag sir